उत्तरकाशी… #आस्था : गंगोत्री तीर्थ के कपाट बंद, आज मुखवा पहुंचेगी उत्सव डोली

उत्तरकाशी। करोड़ों हिंदुओं के आस्था और विश्वास के प्रतीक विश्व प्रसिद्ध धाम गंगोत्री के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। गोवर्धन पवित्र पर्व पर 11:45 बजे कपाट बंद होने के बाद उत्सव डोली अपने मायके मुखवा की ओर रवाना हुई।

श्री 5 गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि अमृत वेला में मंत्रोच्चारण के साथ भोग मूर्ति की पूजा अर्चना की गई और उसके बाद कपाट बंद कर दिए गए। अब कपाट छह माह बाद श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। सेना के बैंड के साथ डोली मुखवा की ओर रवाना हुई है।


चक्रवर्ती राजा भगीरथ ने यहां एक पवित्र शिलाखंड पर बैठकर भगवान शंकर की प्रचंड तपस्या की थी। इस पवित्र शिलाखंड के निकट ही 18 वी शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया। ऐसी मान्यता है कि देवी भागीरथी ने इसी स्थान पर धरती का स्पर्श किया।

ऐसी भी मान्यता है कि पांडवो ने भी महाभारत के युद्ध में मारे गये अपने परिजनो की आत्मिक शांति के निमित इसी स्थान पर आकर एक महान देव यज्ञ का अनुष्ठान किया था। यह पवित्र एवं उत्कृष्ठ मंदिर सफेद ग्रेनाइट के चमकदार 20 फीट ऊंचे पत्थरों से निर्मित है। दर्शक मंदिर की भव्यता एवं शुचिता देखकर सम्मोहित हुए बिना नहीं रहते।

शीतकाल में छह माह तक मां गंगा की भोग मूर्ति के दर्शन श्रद्धालुओं को मां गंगा के मायके मुखीमठ (मुखवा) में स्थित मन्दिर में होंगे । गंगोत्री धाम के श्री 5 मन्दिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि शुक्रवार सुबह अमृत वेला से ही वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ही मां गंगा की भोग मूर्ति का पूजन अर्चन शृंगार किया गया।

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शनिवार को सुबह माता की उत्सव डोली मुखवा के लिए प्रस्थान कर रही है जिसको लेकर मन्दिर समिति की और गांव के लोग इस प्रकार से कर रहे हैं मानो एक बेटी ससुराल से आ रही हो।
विदित हो कि गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थान है।

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गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी. की दूरी पर स्थित है। गंगा मैया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था।

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प्रत्येक वर्ष मई से अक्टूबर के महीनो के बीच पतित पावनी गंगा मैंया के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु तीर्थयात्री यहां आते है। यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पतित पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते हैं।

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