भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का  48वें  कृषि विज्ञान मेले का आयोजन

अल्मोड़ा। भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वार उन्नत तकनीकः समृद्ध पर्वतीय किसान” थीम पर आधारित 48वें  कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया गया। समारोह के  मुख्य अतिथि डा0 संजय कुमार, अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली रहे। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में कृषकों की आजीविका एवं खुशहाली में वृद्धि की है। संस्थान द्वारा विकसित छिलके सहित खाने वाली मटर की प्रजाति एवं कली के स्थान पर बीज से लहसुन उत्पादन तकनीक को उन्होंने कृषकों की सहूलियत हेतु उत्तम शोध बताया। उन्होंने संस्थान का आह्वाहन किया कि भविष्य में संस्थान की श्री अन्न प्रसंस्करण इकाई में  मंडुआ, कुट्टु आदि स्थानीय फसलों का उपयोग कर नूडल्स, नमकीन इत्यादि बनाकर इन पौष्टिक अनाजों को बच्चों के साथ ही बड़ों हेतु स्वास्थ्यवर्धक एवं पसंदीदा  भी बनाया जा सकता है। उन्होंने हींग, केसर एवं जंगली गेंदा की खेती की सम्भावना पर बल देते हुये कहा कि इनकी खेती से पर्वतीय कृषकों की आय में वृद्धि की जा सकती है।

 समारोह के अध्यक्ष  सांसद अजय टम्टा ने पर्वतीय कृषि पर किये जा रहे शोध कार्याें की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान ने कृषि विशेष रूप से पर्वतीय कृषि को आगे बढ़ाने के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि कृषकों का यह कर्तव्य है कि वे धरती केे किसी भी खेत को बंजर ना रहने दें तभी वास्तव में कृषि का समुचित विकास सम्भव हो सकेगा।

 विशिष्ट अतिथि डा0 संजय कुमार, निदेशक उत्तराखण्ड जैव प्रौद्योगिकी परिषद ने अपने वक्तव्य में पशुपालन पर बल देते हुये कहा कि हमें फसल प्रौद्योगिकियों के साथ ही पशुपालन में भी वृहद शोध की आवश्यकता है ताकि कृषकों के आय वृद्धि के साथ ही मानव हेतु पौष्टिक दूध उपलब्धता एवं भूमि उर्वरता सुनिश्चित किया जा सके। वही विशिष्ट अतिथि प्रो0 सुनील नौटियाल, निदेशक, गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, ने पारिस्थितिकी के सतत् विकास एवं शोध हेतु संस्थान का साधुवाद करते हुये कृषकों को पारम्परिक फसलों की खेती एवं उसके उपभोग हेतु प्रेरित किया। विशिष्ट अतिथि  प्रदेश उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी श्री कैलाश शर्मा ने कृषकों को समृध्द विकास हेतु प्रेरित किया और कहा कि देश तभी समृद्ध होगा जब यहाँ का कृषक समृद्ध होगा। 

इस अवसर पर संस्थान की प्रजातियों नामतः मक्का की वी. एल. वीटा, मंडुआ की वी.एल. मंडुआ 408 तथा धान की वी.एल. बारीक धान का लोकार्पण किया  गया। इसके साथ ही संस्थान के प्रकाशनों नामतः पर्वतीय कृषि दर्पण एवं संस्थान की गतिविधियों से सम्बन्धित कलैन्डर का विमोचन किया गया। मेले के दौरान प्रगतिशील किसान  लक्ष्मण सिंह बोरा,  किरन टम्टा,  नीरज सिंह राणा, श्री श्याम सिंह एवं  राजेन्द्र सिंह कोरंगा को पुरस्कृत किया गया।

  संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मी कान्त द्वारा पर्वतीय कृषि के क्षेत्र में संस्थान द्वारा किये गए शोध कार्यों तथा विकसित तकनीकों का विवरण दिया गया। उन्होंने कहा कि इस संस्थान द्वारा विकसित प्रजातियों के बीज देश के 24 राज्यों तथा यंत्र एवं अन्य तकनीकियाँ देश के 16 राज्यों में सफल प्रदर्शन दे रही हैं। उन्होंने मीडिया व प्रेस से आये प्रतिनिधियों का धन्यवाद देते हुये कहा कि संस्थान की तकनीकियों के प्रचार-प्रसार में उन्होंने अहम भूमिका निभायी है। वे सफल कृषकों की गाथा को प्रचारित कर पर्वतीय कृषि के विकास में योगदान दे सकते हैं। इस अवसर पर संस्थान में चल रही जनजातीय उप-योजना के अन्तर्गत विभिन्न कृषक समूहों एवं कृषकों को पावर वीडर, नैपसेक स्प्रेयर एवं लघु कृषि यंत्रों का वितरण किया गया।

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